Navodaya ! A journey of seven years This is my best movement of our life, कुछ शब्दों में इस सात साल कि journey को लिखने की कोशिश किया हूं।।

 Navodaya ! A journey of seven years This is my best movement of our life, कुछ शब्दों में इस सात साल कि journey को लिखने की कोशिश किया हूं।।


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हम बिहार से हैं,उसी बिहार से जहां किसी बच्चे के जन्म पर उसके बराह्मी में क्या बनेगा यह तय होने से पहिले उस बच्चे के माई बाबुजी यह तय करते हैं कि वो अपने बच्चे को पढ़ा-लिखाकर बड़ा आदमी बनाएंगे,फिर शुरू होती है हमारी जिंदगी  जिसके केंद्र में एक ही लक्ष्य होता है कि बेटे को बड़ा आदमी बनाएंगे,कैसे बनाएंगे,क्या बनाएंगे के जवाब में तो आज भी मूकता की निकली हुई जीभ हमें बस मुंह चिढ़ाती है।


पर माई बाबूजी के इस दौड़ धूप में छूटते पसीना और थकती उम्मीद पर पुरुवा हवा के झोंका लेकर आती है एक सलाह कि अगर आपका बच्चा नवोदय के एग्जाम में पास हो जाता है तो 6ठे क्लास से 12 वे क्लास तक उसको मुफ़्त और बेहतर शिक्षा मिलेगी।


माई बाबू को मुफ्त तो याद नही रहता पर बेहतर शिक्षा से एक राह दिख जाती है जिससे बच्चे को बड़ा आदमी बनाने का सपना पूरा होते दिखने लगता है।


फिर तो अपने आंखों के सपने धीरे धीरे सरकारी स्कूल में पढ़ रहे बच्चे की आंखों में उतार दिए जाते हैं और बच्चा अपने लगन की स्याही से नवोदय के दरवाजे तक पहुंच जाता है,इधर बच्चे की बेहतर पढ़ाई के लिए माई बाबू करेजा पर पत्थर रख लेते हैं,और उधर माई बाबू के आदेश में अपनी भलाई देखकर बच्चा दिल को काठ कर लेता है,और घर दुआर से दूर एक चारदीवारी में 24 घण्टा बिताने लगता है, पहले दिन तो ऐसा लगता कि कहाँ आगयें हम? कौन है यहां? किसे अपना कहेंगे? सब अनजाने हैं, और अभी इन शब्दों से आपकी आंखे भीगी ही रहती है कि हाऊस मास्टर साहब की चढ़ी हुई त्योरियां बच्चे से ये कह जाती हैं कि अगर इस चहारदीवारी से बाहर निकले तो कूट कर भगा दिए जाओगे, एकदम ये चहारदीवारी खाने लगती है, तभी पता चलता है कि सीनियर नामक बला भी यही हैं, फिर उनके आदेशों को मानते हुई कट रही जिंदगी पढ़ाई के कम बेबसी के करीब ज्यादा लगती है।


तभी एक दिन वो बच्चा बीमार पड़ता है,  और मन ही मन तय करता है अबकी घर जाएगा तो माई बाबूजी को ये जरूर कहेगा कि हम सरकारी स्कूल में ही पढ़ कर बड़े आदमी बन जाएंगे मुझे वहां न भेजिये, अभी ये सोच ही रहा होता है कि वहीं डंडे वाले हाऊसमास्टर आकर वैसे ही बुखार चेक करने लगते हैं जैसे घर पर बाबूजी करते हैं, बगल के डेकर वाला क्लासमेट जो उस बच्चे के साथ मे दाखिला लिया था वो कटोरे में कपड़ा भिगाकर सर पर वैसे ही रखने लगता है जैसे घर मे मां और बहने रखती थी,हमेशा अपने आज्ञा का पालन करवाने वाला वो खड़ूस सीनियर आज नर्स मैडम के पास से दौड़कर दवा लाने में हांफ गया है, लड़का कंफ्यूज हो जाता है कि वो घर पर हैं या घर से दूर एक चारदीवारी में?


फिर अगले दिन जब माई बाबूजी आते हैं तो घर जाने का फैसला करने वाला बच्चा कह देता है कि हाऊसमास्टर सर,सीनियर भैया,और दोस्तो के रहते आपको चिंता करने की जरूरत नही है, मैं बिल्कुल ठीक हूँ।


फिर शुरू होता है एक सफर,सात सालों का इंद्रधनुषी सफर,    हां इंद्रधनुषी हीं तो है,बचपन और जवानी के बीच के 7 साल मतलब सात अनोखे रंग।


NVS stands for Navodaya Vidyalaya Samiti. It is an autonomous organization under the Ministry of Education, Government of India. The main objective of NVS is to establish, develop, and manage the Navodaya Vidyalayas, which are co-educational residential schools. These schools provide quality education to rural children with a focus on promoting national integration and fostering a sense of unity among diverse cultures and backgrounds. NVS aims to identify talented students from rural areas and provide them with a strong academic foundation.




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