इस कविता को पढ़कर स्कूल की याद ताजा हो जाएगी ।। Navodayan life Poem , navodayan ke yaadein

 इस कविता को पढ़कर स्कूल की याद ताजा हो जाएगी ।। Navodayan life Poem , navodayan ke yaadein 


Last poem jarur padhiye ga apko jarur pasand aye ga Navodayan se related hai Jay Navodaya..........





पहली कविता अच्छी लगी तो दूसरी भी पढ़िएगा।।


1.


नवोदय...

 

जहाँ बचपन मैंने बिताया था 

तितलियों के पीछे भागा था 

दोस्ती क्या चीज होती है

उसी जगह मैंने जाना था।

सारी दुनिया की सैर कराता था

आज भी वो दिन याद है मुझे

वो माह जुलाई होता था।

घर जाना फिर घर से आना

सभी दोस्तों के साथ मिल के

सब का नाश्त लुट कर खाना

छोटी मोटी बातों पर

जूनियर पर खुब रौब जमाना |

क्लास के वक्त होने पर भी

भैंस बेच के सबका सोना ..

आखिर समय होने पर ..

बिना नहाए कुछ किये बगैर

दो मिनट में तैयार होना

आँख मलते मलते ही क्लास में पहुंच जाना।

रात को खेतों से आलू-प्याज उखाड़

दोस्तों के साथ मिल बाँट के खाना बनाना

बीच बीच में किसी के नाम से चिढाना 

वो तेरी वो मेरी बाकि सब सरकारी 

वो बचपन भी क्या जिंदगी था 

जन्नत से भी बड़ा जन्नत था 

आखिर वो हमारा नवोदय था। "



कविता अच्छी लगी हो तो comment जरूर करिएगा।।

Comment में एक बार Jay navodaya भी लिखिएगा।।


नीचे और कविता है .................

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ये कविता कैसी लगी मुझे जरूर बताएं comment section में।।


2.

अब वो PT सर की सीटी हमें नहीं जगाती है 

न ही वो mess की घंटी खाने पर बुलाती है

 वो दौड़ कर morning assembly में जाना 

चुपके से पीछे लाइन में लग जाना 

Class में आखिरी टेबल पर बैठेना और 

किसी के न आने पर खुद yes sir बोलना

 खुद अपनी किताब न ले जा कर दूसरो की छीनना

 और बहाना तो ऐसा बनाना की एक बार में सब मान जाएं 

वो स्कूल खत्म होने की घंटी 

वो फिर से खाने की घंटी 

ऐसा लगता था जैसे वक्त के गुलाम है हम

मगर आज फिर से वो गुलामी जीने को मन करता है 

फिर से नवोदय जाने का दिल करता है 

फिर से वही ज़िन्दगी जीने को दिल करता है

 एक बार फिर नवोदय जाने को दिल करता है......


कविता अच्छी लगी हो तो comment जरूर करिएगा।।

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नीचे और कविता है .................

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ये कविता कैसी लगी मुझे जरूर बताएं comment section में।।



3.


नवोदय की हसीन लम्हें 

हमेशा याद आएंगी 

रहू चाहे जहाँ भी मै

 ये यादें साथ जाएंगी 

नवोदय की मोहब्बत को 

कभी ना भूल पाऊंगा

 अगर मिला कभी मौका 

लौटकर वापस आऊंगा


नीचे और कविता है .................


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4. 

          7 सालों के बंधन का वो

          जिंदगी भर साथ निभाता है, 

ऐसे ही थोड़ी ना वो नवोदयन कहलाता है। 

 

घर से बिछड़ कर वह एक नया संसार बनाता है
 सारी दुनिया से अच्छा उसे रिश्ता निभाना आता है, 


ऐसे ही थोड़ी ना वो नवोदयन कहलाता है।
 जाति पाति भेद भाव से उसका ना कुछ नाता है 


वह दोस्तों साथ बैठ कर एक ही थाली में खाता है,
 ऐसे ही थोड़ी ना वो नवोदयन कहलाता है। 


नवोदय में जब कोई दोस्त फँस जाता है 
तो वह अपना नाम लगा कर उसे बचाता है,


 ऐसे ही थोड़ी ना वो नवोदयन कहलाता है।
हमको नवोदया ने सिर्फ़ शिक्षा नहीं नयी जिंदगी जीना सिखाया है,


 बस इन्हीं 7 सालों की तपस्या ने हमें दुनिया से अलग बनाया है।
अब इस दुनिया को कौन बताए की, हमारी दुनिया तो हमारा नवोदया ही कहलाता है।


- Navodaya



कविता अच्छी लगी हो तो comment जरूर करिएगा।।

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Jay Navodaya.......

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